Tuesday, August 18, 2009

अजीब दास्ताँ हैं ये, कहाँ शुरू कहाँ ख़तम

फ़िल्म - दिल अपना और प्रीत पराई - 1960
गायिका - लता मंगेशकर
संगीत - शंकर-जयकिशन
गीत - शैलेन्द्र

अजीब दास्तां है ये
कहाँ शुरू कहाँ खतम
ये मंज़िलें है कौन सी
न वो समझ सके न हम
अजीब दास्तां...

ये रोशनी के साथ क्यों
धुआँ उठा चिराग से -२
ये ख़्वाब देखती हूँ मैं
के जग पड़ी हूँ ख़्वाब से
अजीब दास्तां...

किसीका प्यार लेके तुम
नया जहाँ बसाओगे -२
ये शाम जब भी आएगी
तुम हमको याद आओगे
अजीब दास्तां...

मुबारकें तुम्हें के तुम
किसीके नूर हो गए -२
किसीके इतने पास हो
के सबसे दूर हो गए
अजीब दास्तां...
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3 comments:

Jiut ray said...

मूबारके तुम्हे के तुम किसीके नुर हो गए। पुरानी यादें ताजा तो गया
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Nidhi news said...

Nice...

Nidhi news said...
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